Friday
29/03/2024
4:34 AM
 
नो l
 हम जो सोचते हैं , वो बन जाते हैं.
 
Welcome Guest | RSSMain | Manoj Rai | Registration | Login
Site menu
Our poll
Rate my site
Total of answers: 3
Statistics

Total online: 1
Guests: 1
Users: 0
Login form
Main » 2012 » January » 5 » नारी हूँ..बेचारी नहीं..
12:42 PM
नारी हूँ..बेचारी नहीं..

एक लड़की पर अत्याचार तब से ही शुरू हो जाता है, जब वह गर्भ में पल रही होती है। कई बार उसे जन्म ही नहीं लेने दिया जाता, क्योंकि वह लड़की है। यदि उसका जन्म हो भी जाता है तो उसे हर तरह से भेदभाव व शोषण का शिकार बनाया जाता है। जैसे-लड़कों को अच्छे भोजन देना, लड़कियों को नहीं, लड़कों को खेलने, पढ़ने, जन्मदिन मनाने तक सब की आजादी मिलती है, लड़की को नहीं। इन सबसे वंचित कर उसे घरेलू काम करने के लिए कहा जाता है, बल्कि मजबूर किया जाता है। अगर कोई लड़की इसका विरोध करती है तो उसको मारा-पीटा जाता है, धमकाया जाता है। उसे तरह-तरह के बुरे शब्द जैस- कुलक्षणी, चरित्रहीन इत्यादि कह कर ताने दिये जाते हैं।

अगर उसकी शादी नहीं होती है तो भी उसे ही अपशब्द कहा जाता है। एक तो लोग खेलने-कूदने की उम्र में लड़की को घर सम्भालने की जिम्मेवारी देते है, उसकी शादी कर देते हैं। शादी होते ही उसे अधिक से अधिक दहेज पाने के लिए प्रताडि़त किया जाता है। घर के सारे काम करवाये जाते हैं, मारते-पीटते हैं सो अलग। दहेज न मिलने पर उसकी हत्या तक कर दी जाती है। मारने के लिए जिंदा जलाने से लेकर फांसी लगा देने तक के क्रूर तरीके अपनाये जाते हैं। लड़की को जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रताडि़त किया जाता है, सिर्फ इसलिए न कि वह लड़का नहीं है?

दूसरी तरफ हर घर में मां दुर्गा को पूजा जाता है वो भी तो एक कन्या या नारी है। फिर उसी घर में ऐसा अत्याचार क्यों होता है? नारी के अनेक रूप है- मां, बहन, बेटी, बुआ, मांसी, पत्नी, चाची आदि। वह तो सभी तरह से अपने कर्तव्य को निभाती है। सबके बारे में सोचती है फिर पुरुष समाज क्यों नहीं उसके बारे में सोचता है? नारियां ठान लें तो वे इन सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। विडंबना यह है कि एक तरफ कन्या पूजन का दिखावा और दूसरी तरफ समाज में स्त्रियों के साथ तरह-तरह के अत्याचार जारी हैं।

भ्रूण-हत्या, बाल विवाह, दहेज प्रताड़ना, अशिक्षा इत्यादि सब कुछ लड़कियां वर्षो से झेल रही हैं, कोई कम कोई ज्यादा। मैं मानता  हूं कि इन सब को दूर करने के लिए नारी-शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मगर नारी-शिक्षा का विरोध करने वालों की भी कमी नहीं है। वे समझते है की एक नारी का काम सिर्फ घर सम्भालना है। वे ये नहीं समझते की इन सारे कामों को एक पढ़ी लिखी महिला जितने अच्छे ढंग से कर सकती है, उतने अच्छे ढंग से अनपढ़ नहीं। ससुराल में मां बनने के बाद लड़की और भी बंध जाती है। वह सोचती है की अगर वह उत्पीड़न के चलते ससुराल को छोड़ देती है तो उसके बच्चों का पालन-पोषण कौन करेगा? उसके पास जिंदा रहने के विकल्प भी कम होते हैं। वह मायके में पहले ही उपेक्षा और इतने कष्ट काट चुकी होती है कि वहां लौटना नामुमकिन लगता है। इन दो पाटों के बीच अत्याचार सहते हुए वह ससुराल में ही रहती है। इतनी असहाय जिंदगी एक न एक दिन मार डाली जाती है। उसे तड़पा-तड़पा कर मारा जाता है।

बचपन से लेकर मृत्यु तक यही कहानी चलती है। उसे अच्छी शिक्षा नहीं मिलती इसलिए वह न अपने पैरों पर खड़ी हो पाती है, न अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर पाती है। कुछ लड़कियां मर्यादा और रिवाज के नाम पर चुप रहती हैं। सब कुछ जान कर भी इसका विरोध नहीं करती। जब समाज  लड़कियों के बारे में अच्छा नहीं सोच सकता, तो लड़कियों को ही कुछ करना होगा। सोच-समझ कर सही रास्ता तय करना होगा। अपने अधिकारों को जानना होगा। ये विश्वास रखना होगा की वे अकेली नहीं हैं। वो चलेंगी तो साथ चलने वालों की कभी नहीं हैं, मगर हौसला तो चाहिए।

हार कर हम यूं बैठें, यह हमें मंजूर नहीं
हम मंजिल से दूर हैं, मंजिल दूर नहीं।
औरतें उठें नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा।
जुल्मी ही सीना जोर बनता जाएगा।

यह सोच कर आपको आगे बढ़ना है। अपने अधिकार को पहचानना है और ये अफसोस नहीं करना है कि मैं एक लड़की (कमजोर) हूं।
Views: 477 | Added by: manoj | Rating: 0.0/0
Total comments: 0
Name *:
Email *:
Code *:
Search
Calendar
«  January 2012  »
SuMoTuWeThFrSa
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031
Entries archive
Site friends
  • Create a free website
  • Online Desktop
  • Free Online Games
  • Video Tutorials
  • All HTML Tags
  • Browser Kits
  • Copyright MyCorp © 2024
    Powered by uCoz